ज़िन्दगी शायरी
दरिया में अपनी कबर बनाने चला गया,
सूरज को डूबने से बचाने चला गया,
खुव्हाइश तो सबसे आगे निकलने की थी मगर,
जो गिर गऐ थे उनको उठाने चना गया,
अपनो की चाहतो में मिलावट थी इस कदर,
तंग आ के दुशमनो को मनाने चला गया.
दरिया में अपनी कबर बनाने चला गया,
सूरज को डूबने से बचाने चला गया,
खुव्हाइश तो सबसे आगे निकलने की थी मगर,
जो गिर गऐ थे उनको उठाने चना गया,
अपनो की चाहतो में मिलावट थी इस कदर,
तंग आ के दुशमनो को मनाने चला गया.
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